Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Mar 2023 · 1 min read

■ एक मुक्तक…

#मुक्तक-
■ लक़ीरों पे लक़ीरें….
【प्रणय प्रभात】
“मसाइल आज भी उलझे पड़े हैं।
बहुत दुश्वारियां भी बढ़ गई हैं।।
लिखी थी नज़्म शब की तीरगी में।
लक़ीरों पे लक़ीरें चढ़ गई हैं।।”

#प्रभात_प्रणय

1 Like · 266 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

न पणिहारिन नजर आई
न पणिहारिन नजर आई
RAMESH SHARMA
2448.पूर्णिका
2448.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
आयी बरखा हो गए,
आयी बरखा हो गए,
sushil sarna
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
कृष्ण जन्म की आज बधाई
कृष्ण जन्म की आज बधाई
Rajesh Kumar Kaurav
सहारा
सहारा
Neeraj Agarwal
प्रेम भरे कभी खत लिखते थे
प्रेम भरे कभी खत लिखते थे
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
#वर_दक्षिण (दहेज)
#वर_दक्षिण (दहेज)
संजीव शुक्ल 'सचिन'
रस्ता मिला न मंज़िल रहबर की रहबरी में
रस्ता मिला न मंज़िल रहबर की रहबरी में
Khalid Nadeem Budauni
सम्मान की लालसा
सम्मान की लालसा
Sudhir srivastava
*शब्दों मे उलझे लोग* ( अयोध्या ) 21 of 25
*शब्दों मे उलझे लोग* ( अयोध्या ) 21 of 25
Kshma Urmila
सुध जरा इनकी भी ले लो ?
सुध जरा इनकी भी ले लो ?
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
अब आदमी के जाने कितने रंग हो गए।
अब आदमी के जाने कितने रंग हो गए।
सत्य कुमार प्रेमी
इंसान, इंसान नहीं रह जाता
इंसान, इंसान नहीं रह जाता
Dr. Kishan tandon kranti
अधर मौन थे, मौन मुखर था...
अधर मौन थे, मौन मुखर था...
डॉ.सीमा अग्रवाल
बाखुदा ये जो अदाकारी है
बाखुदा ये जो अदाकारी है
Shweta Soni
घमण्ड बता देता है पैसा कितना है
घमण्ड बता देता है पैसा कितना है
Ranjeet kumar patre
बचपन
बचपन
नूरफातिमा खातून नूरी
ऋतु बसंत
ऋतु बसंत
Karuna Goswami
Vimochan
Vimochan
Vipin Jain
ग़ज़ल को ‘तेवरी' क्यों कहना चाहते हैं ? डॉ . सुधेश
ग़ज़ल को ‘तेवरी' क्यों कहना चाहते हैं ? डॉ . सुधेश
कवि रमेशराज
विरह योग
विरह योग
दीपक झा रुद्रा
जवान और किसान
जवान और किसान
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
అందమైన తెలుగు పుస్తకానికి ఆంగ్లము అనే చెదలు పట్టాయి.
అందమైన తెలుగు పుస్తకానికి ఆంగ్లము అనే చెదలు పట్టాయి.
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
रफ़्तार - ए- ज़िंदगी
रफ़्तार - ए- ज़िंदगी
Shyam Sundar Subramanian
राजा अगर मूर्ख हो तो पैसे वाले उसे तवायफ की तरह नचाते है❗
राजा अगर मूर्ख हो तो पैसे वाले उसे तवायफ की तरह नचाते है❗
शेखर सिंह
कह मुकरी
कह मुकरी
Dr Archana Gupta
बलदेव छठ
बलदेव छठ
Mahesh Jain 'Jyoti'
विषय – आत्मविश्वास और आत्ममुग्धता में अंतर
विषय – आत्मविश्वास और आत्ममुग्धता में अंतर
Sonam Puneet Dubey
जिंदगी मौत तक जाने का एक कांटो भरा सफ़र है
जिंदगी मौत तक जाने का एक कांटो भरा सफ़र है
Rekha khichi
Loading...