■ एक मुक्तक…
#मुक्तक-
■ लक़ीरों पे लक़ीरें….
【प्रणय प्रभात】
“मसाइल आज भी उलझे पड़े हैं।
बहुत दुश्वारियां भी बढ़ गई हैं।।
लिखी थी नज़्म शब की तीरगी में।
लक़ीरों पे लक़ीरें चढ़ गई हैं।।”
#प्रभात_प्रणय
#मुक्तक-
■ लक़ीरों पे लक़ीरें….
【प्रणय प्रभात】
“मसाइल आज भी उलझे पड़े हैं।
बहुत दुश्वारियां भी बढ़ गई हैं।।
लिखी थी नज़्म शब की तीरगी में।
लक़ीरों पे लक़ीरें चढ़ गई हैं।।”
#प्रभात_प्रणय