■ आलेख / चुनावी साल-2023
■ सियासी पिच पर…
एक मौका “मास्टर-स्ट्रोक” का
【प्रणय प्रभात】
अपने सियासी वजूद को लेकर छटपटाती कांग्रेस को हिमाचल में मिली जीत ने एक बेहतरीन अवसर दिया है। देश की सबसे पुरानी पार्टी यदि ठान ले, तो देश के अन्य हिस्सों में खोई हुई ज़मीन फिर हासिल कर सकती है। कांग्रेस यदि देवभूमि की छोटी सी पिच पर मास्टर-स्ट्रोक लगाने के प्रयास में समय रहते कामयाब हो जाती है तो उसकी भूमिका एक बार फिर से भाजपा को कड़ी चुनौती देने वाले दल की हो सकती है। ऐसे में वो जहां एक ओर जनता के सामने एक सशक्त विकल्प बन कर उभर सकेगी, वही अपने जनाधार में सेंध लगाती आम आदमी पार्टी की भी रोकथाम कर सकेगी। शर्त बस इतनी सी है कि उसके ज़िम्मेदार नेताओं को अपने तौर-तरीकों में थोड़ा सा बदलाव लाना होगा। अपनी ऊर्जा को नकारात्मक से सकारात्मक बनाने की पुरजोर कोशिश करनी होगी। कांग्रेस को आरोप-प्रत्यारोप और अनर्गल बयानबाज़ी से किनारा करते हुए अपनी हताशा से उबरने का संकेत देना होगा। जिसके लिए उसके पास अब भी अच्छा-खासा वक़्त है। सियासी पतझड़ में अनगिनत पत्तों को गिरते देख चुकी कांग्रेस के सूने आंगन में भाग्य की बयार ने एक बार फिर दस्तक दी है। जिसकी थाप कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व सहित हर ज़िम्मेदार नेता को महसूस करनी होगी। कांग्रेस को अपना पूरा फोकस हिमाचल की उन उम्मीदों पर रखना होगा, जो ख़ुद उसने जगाई हैं। जनता की उम्मीदों का आधार कांग्रेस की वो घोषणाएं हैं, जिन पर भरोसा करते हुए पहाड़ी मतदाताओं ने साहसिक जनादेश दिया। डबल इंजन की सवारी के ऑफर को अपनी दृढ़ता से नकारने वाले मतदाताओं के प्रति कृतज्ञता कथनी नहीं करनी का विषय है। यही वो “मास्टर-स्ट्रोक” साबित होगा, जो उसे राजनैतिक हाशिए से केंद्र तक लाने का काम करेगा। कांग्रेस को अगले चार से छह महीने में अपने उन बड़े वादों को अमली जामा पहनाना होगा, जिनके बलबूते उसे देवभूमि का आशीर्वाद मिला। चुनाव पूर्व की गई घोषणाओं को प्राथमिकता के साथ एक-एक कर पूरा करना कांग्रेस को अपना एकमात्र लक्ष्य बनाना होगा। यदि वो ऐसा करने में कामयाब होती है, तो उसे इसका सीधा लाभ 2023 में बड़े पैमाने पर मिलेगा। युवा शक्ति को स्थाई रोज़गार, राज्य कर्मचारियों को पुरानी पेंशन, महिलाओं को सम्मान निधि व उत्पादकों को प्रभावी मदद व संरक्षण देकर कांग्रेस देश के उन 9 प्रदेशों की जनता की आस और विश्वास का केंद्र बन सकती है, जहां अगले साल विधानसभा के चुनाव प्रस्तावित हैं। नहीं भूला जाना चाहिए कि उक्त चुनाव 2024 में होने वाले आम चुनाव का सेमी-फाइनल होंगे, जिनमे कांग्रेस को दमखम से ताल ठोकने का वो अवसर मिल सकेगा, जिसकी उसे अरसे से तलाश है। सियासी बजूद और रसूख की जंग में पिछड़ी कांग्रेस हिमाचल के छोटे मैदान पर बड़े शॉट्स खेल कर आसानी से धूम मचा सकती है। हालांकि केंद्र से अपेक्षित सहयोग की प्राप्ति नवगठित “सुक्खू सरकार” के लिए सहज संभव नहीं होगी, तथापि उसे देश को यह बताने का मौका ज़रूर मिलेगा कि केंद्र का बर्ताव उसके द्वारा शासित राज्यों के साथ कैसा है। चूंकि 2024 में भाजपा को भी जनता की अदालत में जाना है, लिहाजा किसी भी राज्य की उपेक्षा उसके लिए भी आसान नहीं होगी। इस समय सुयोग को समझते हुए कांग्रेस को हाथ आई एक अहम कामयाबी को पूरी शिद्दत व दृढ़ इच्छा-शक्ति के साथ भुनाना होगा। साथ ही टी-20 के अंदाज़ में ताबड़तोड़ प्रदर्शन करते हुए उसे चुनावी दंगल में बड़े दाव के रूप में इस्तेमाल करना होगा। इससे कांग्रेस न केवल अपनी बदली हुई सोच व शैली के साथ खोई हुई साख फिर से बना सकेगी, वहीं आम जनमानस में उसके वादों और संकल्पों के प्रति विश्वास भी बढ़ेगा। जो चुनावी समर की शुरुआत से पहले उसे भरपूर ऊर्जा देगा। अतीत की गौरव-गाथा और आत्म-मुग्धता से दामन छुड़ाते हुए सत्तारूढ़ भाजपा से जुबानी जंग
में समय व ऊर्जा की बर्बादी से भी कांग्रेस को परहेज़ करना होगा। जो मौजूदा हाल में उसकी असाध्य नज़र आती बीमारी का एकमात्र उपचार है। अब निर्णय कांग्रेस को करना होगा कि आने वाले निर्णायक साल में अपना हाल बदलने की शुरुआत उसे कितनी जल्दी करनी है। गौरतलब है कि हिमाचल जैसी चाह अगले साल चुनावी मैदान बनने वाले सूबों की भी है। आम जनता के मुद्दे भी अमूमन मिलते-जुलते ही हैं। ऐसे में राष्ट्रीय मुद्दों, सौगातों व उपलब्धियों सहित प्रधानमंत्री के चेहरे पर चुनाव लड़ने वाली भाजपा से जूझने में कांग्रेस को अपेक्षित सफलता की उम्मीद हो सकती है। बशर्ते उसके नेता अपनी उन तमाम चिर-परिचित खामियों से पिंड छुड़ा पाएं, जो बेनागा उसकी किरकिरी की वजह बनती आ रही है।
इसी तरह का एक ताज़ा उदाहरण मध्यप्रदेश के पूर्व मंत्री राजा पटेरिया के बेहूदे बोल हैं, जिन्हें कोई न स्वीकार सकता है, न भूल सकता है। इसी तरह की अमर्यादित टिप्पणियों ने कांग्रेस का बीते एक दशक में कबाड़ा किया है। जिसे पार्टी आलाकमान को भी सख्ती से लेना होगा। हालांकि मीडिया द्वारा पेश किया जा रहा आपत्तिजनक वीडियो काट कर परोसा गया है। प्रदेश के गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने जांच व एफआईआर के आदेश जारी कर दिए है। कांग्रेसी नेता ने बैकफुट पर आते हुए अपनी विवादित टिप्पणी पर सफाई भी दी है। बावजूद इसके मीडिया और भाजपा को बैठे बिठाए हमलावर होने का एक मुद्दा मिल गया है। जो कांग्रेस के लिए नई फजीहत का सबब बन रहा है। ज़रूरत इस तरह की सोच व प्रयास के खिलाफ तात्कालिक कार्यवाही की भी है। जो छबि सुधार और उद्धार की दिशा में एक बड़ी पहल होगा।