■ आज की ग़ज़ल-
#ग़ज़ल-
■ छटपटाने के लिए…!
【प्रणय प्रभात】
★ दो क़दम का फ़ासला है बस मिटाने के लिए।
एक काँधा चाहिए गर सर टिकाने के लिए।।
★ बन सके जो दूरियों को ख़त्म करने का सबब।
काश मिल जाए बहाना इक बहाने के लिए।।
★ फिर ख़ता कर के ज़हन ख़ामोश जा बैठा कहीं।
फिर से तन्हा रह गया दिल छटपटाने के लिए।।
★ सूखने पर आ गए हैं ज़ख़्म सारे रूह के।
वक़्त हो तो लौट आओ दूर जाने के लिए।।
★ अब तलक बस झूठ पर शैदा रही थी ज़िंदगी।
शुक्रिया ए वक़्त सच्चाई बताने के लिए।।
★ ये सुलगने में दहकने में रहा है मुब्तिला।
क्या ज़रूरत तीलियों की दिल जलाने के लिए।।