सिलवटें आखों की कहती सो नहीं पाए हैं आप ।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
चाहत में उसकी राह में यूं ही खड़े रहे।
यूंही सावन में तुम बुनबुनाती रहो
हर जगह तुझको मैंने पाया है
*रक्षक है जनतंत्र का, छोटा-सा अखबार (कुंडलिया)*
बिना बकरे वाली ईद आप सबको मुबारक़ हो।
Artist Sudhir Singh (सुधीरा)
खिड़की पर किसने बांधा है तोहफा
"तरक्कियों की दौड़ में उसी का जोर चल गया,
जाति-धर्म में सब बटे,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
जो शख़्स तुम्हारे गिरने/झुकने का इंतजार करे, By God उसके लिए
बंदूक के ट्रिगर पर नियंत्रण रखने से पहले अपने मस्तिष्क पर नि
कांटा
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
समता उसके रूप की, मिले कहीं न अन्य।
*** सागर की लहरें....! ***
आज़ादी के बाद भारत में हुए 5 सबसे बड़े भीषण रेल दुर्घटना