गणित का एक कठिन प्रश्न ये भी
चंदा
डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद
सामाजिक बेचैनी का नाम है--'तेवरी' + अरुण लहरी
सुख-साधन से इतर मुझे तुम दोगे क्या?
यादों से कह दो न छेड़ें हमें
नफरती दानी / मुसाफिर बैठा
ऐ ख़ुदा इस साल कुछ नया कर दें
हर तरफ़ हैं चेहरे जिन पर लिखा है यूँ ही,
*मिटा-मिटा लो मिट गया, सदियों का अभिशाप (छह दोहे)*
🥀 *✍अज्ञानी की*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
खेतवे में कटे दुपहरिया (चइता)
आदमी इस दौर का हो गया अंधा …