Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Feb 2023 · 1 min read

■ अटल सच…..

#भ्रम_मिटाए
■ न धूप अपनी, न छांव….
धूप और छांव शाश्वत हैं। जिनका अस्तित्व अनादिकाल से है। अनंतकाल तक रहना तय है। दोनों धरती पर बसने वाले प्रत्येक जीव के लिए है। मगर सच यह है कि अपने आंगन में आने वाली धूप-छांव अपनी होकर भी अपनी नहीं। ऐसे में संयोगवश मिलने वाले नश्वर जीवों को सिर्फ़ अपना मानना क्या स्वयं से छल नहीं। जब शाश्वत धूप-छांव आपके पास रहने के बाद आपकी नही तो नश्वर इंसानों से यह अपेक्षा क्यों…? चिंतन करें एक बार। सच समझ आने के बाद माया-मोह स्वतः क्षीण हो जाएगा। किसी के मिलने को केवल एक संयोग और सौभाग्य मानें। स्वामित्व का भ्रम भूल कर भी न पालें। सदैव प्रसन्न रहेंगे।।
【प्रणय प्रभात】

1 Like · 288 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
कलम के सिपाही
कलम के सिपाही
Pt. Brajesh Kumar Nayak
चांद पर उतरा
चांद पर उतरा
Dr fauzia Naseem shad
गोलगप्पा/पानीपूरी
गोलगप्पा/पानीपूरी
लक्ष्मी सिंह
विश्व पुस्तक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।।
विश्व पुस्तक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।।
लोकेश शर्मा 'अवस्थी'
जल बचाओ , ना बहाओ
जल बचाओ , ना बहाओ
Buddha Prakash
Love is a physical modern time.
Love is a physical modern time.
Neeraj Agarwal
लीकछोड़ ग़ज़ल / MUSAFIR BAITHA
लीकछोड़ ग़ज़ल / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
जिनमें बिना किसी विरोध के अपनी गलतियों
जिनमें बिना किसी विरोध के अपनी गलतियों
Paras Nath Jha
■ उदाहरण देने की ज़रूरत नहीं। सब आपके आसपास हैं। तमाम सुर्खिय
■ उदाहरण देने की ज़रूरत नहीं। सब आपके आसपास हैं। तमाम सुर्खिय
*Author प्रणय प्रभात*
*धन्य अयोध्या जहॉं पधारे, पुरुषोत्तम भगवान हैं (हिंदी गजल)*
*धन्य अयोध्या जहॉं पधारे, पुरुषोत्तम भगवान हैं (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
दो पल देख लूं जी भर
दो पल देख लूं जी भर
आर एस आघात
पेड़ काट निर्मित किए, घुटन भरे बहु भौन।
पेड़ काट निर्मित किए, घुटन भरे बहु भौन।
विमला महरिया मौज
छह घण्टे भी पढ़ नहीं,
छह घण्टे भी पढ़ नहीं,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
कुछ बहुएँ ससुराल में
कुछ बहुएँ ससुराल में
Artist Sudhir Singh (सुधीरा)
लर्जिश बड़ी है जुबान -ए -मोहब्बत में अब तो
लर्जिश बड़ी है जुबान -ए -मोहब्बत में अब तो
सिद्धार्थ गोरखपुरी
जय माता दी
जय माता दी
Raju Gajbhiye
2533.पूर्णिका
2533.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
शिवरात्रि
शिवरात्रि
ऋचा पाठक पंत
रक्षाबंधन का त्यौहार
रक्षाबंधन का त्यौहार
Ram Krishan Rastogi
शाश्वत और सनातन
शाश्वत और सनातन
Mahender Singh
ख्वाहिशों के समंदर में।
ख्वाहिशों के समंदर में।
Taj Mohammad
*भगवान के नाम पर*
*भगवान के नाम पर*
Dushyant Kumar
कोई भी नही भूख का मज़हब यहाँ होता है
कोई भी नही भूख का मज़हब यहाँ होता है
Mahendra Narayan
हवायें तितलियों के पर काट लेती हैं
हवायें तितलियों के पर काट लेती हैं
कवि दीपक बवेजा
अंबेडकर के नाम से चिढ़ क्यों?
अंबेडकर के नाम से चिढ़ क्यों?
Shekhar Chandra Mitra
माये नि माये
माये नि माये
DR ARUN KUMAR SHASTRI
ताउम्र लाल रंग से वास्ता रहा मेरा
ताउम्र लाल रंग से वास्ता रहा मेरा
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी"
मुझको अपनी शरण में ले लो हे मनमोहन हे गिरधारी
मुझको अपनी शरण में ले लो हे मनमोहन हे गिरधारी
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
ईमानदारी. . . . . लघुकथा
ईमानदारी. . . . . लघुकथा
sushil sarna
जीवन में सफलता पाने के लिए तीन गुरु जरूरी हैं:
जीवन में सफलता पाने के लिए तीन गुरु जरूरी हैं:
Sidhartha Mishra
Loading...