हमारा सब्र तो देखो
तुम्हें अब भी चाहते हैं, हमारा सब्र तो देखो।
किसी के घर न बरसा,निगोड़ा अब्र तो देखो।
बहुत चाहा,बहुत माना,बहुत सजदे किये मैंने।
दिल को बहुत संभाला, बहुत आंसू पिये मैंने।
ताउम्र मयस्सर न हुई खुशी ,हमको ऐ यारा
तेरी बेवफ़ाई कभी न हुई ,हमको गवारा।
दीद तेरी के प्यासे हैं, कहां जाये किधर जाये
सब तरफ तेरे किस्से हैं, जहां जाए जिधर जाए।
आसान इतना भी नहीं , दर्द ए ग़म को सहना
आग लगी हो इश्क़ की, अश्क एक न बहना।
सुरिंदर कौर