२ मुक्तक
प्रीत की, रीत ही रीत बनाये l
यूँ अपनी, जीवन जीत मनाये ll
चलो बनाये,अब कुछ, प्रीत गीत l
चलो मधुर, प्रीत संगत गायें ll
प्रीत राह में, अंधेरा क्यों है l
शंका, भय का, ये घेरा क्यों है ll
प्यास, है सहज सरल सुलझा समा l
ये कुछ, ना ना का फेरा क्यों है ll
अरविन्द व्यास “प्यास”