गीत०२*
०२*
रिश्तों से धूप खो गयी।।
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पेट के सवाल पर ,
गाँव शहर जा बसे ।
खेती मुरझा गयी
हरदम मौसम कसे ।
छुट्टी का आवेदन
बरखा भिगो गयी ।।
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घर में तुलसी चौरा ,
अँगना उजास था ।
उत्सव गहमा गहमी
लछमी का वास था ।
टूटी अपनेपन की डोर ,
साँझ मरी शूल बो गयी।।
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रिश्तों से धूप खो गयी ।।