ड़ीजीलेप(व्यंग्य कविता)
मोबाइल मत देना
छोटे बच्चों के हाथ।
कल तक कहते थे
विशेषज्ञ दिनरात।
आँखों को हानिकारक
बिगाड़े मानसिक स्वास्थ्य।
छिना छपटी में पिटतें
माता पिता के हाथ।
शिक्षाविदों से लेकर
नेता और अधिकारी।
मोबाइल को मानते
विद्यार्थियों को अहितकारी।
जो उलझ गया मोबाइल में
कैसे फिर पढ़ पायगा।
मोबाइल का खेल
धोबी का कुत्ता बनायगा।
आज वही विद्वान कहते
मोबाइल बहुत जरूरी है।
बिन मोबाइल के
बच्चा गदहा हो जायगा।
जो शिक्षक बच्चों को
मोबाइल से नहीं पढ़ेयगा।
शासन का आदेश जारी
दंडि़त वह हो जायगा।
मजबूरी है बहुत बड़ी
गाँव के बच्चों की सुनो।
एंड्राइड़ मोबाइल नहीं
कोई दूसरा विकल्प चुनो।
है भी देते नहीं माँ बाप
पढ़े लिखे ज्यादा नहीं
मानलो अँगूठा छाप।
बुद्धि में तेज बहुत ज्यादा
देते नयी नयी तर्क सभी।
डिजीलेप से जोड़कार
गिन रहे मोबाइल अभी।
बाद में सम्पंन श्रेणी होगी
गरीबी रेखा पार होगी।
बेटे को कुत्ता गदहा कहाँ
हमें ऊँट कहा जायगा।
बच्चों को पढ़ाने का परिणाम
माँ बाप के सिर आयगा।