ज़िन्दगी ख़ामोश ही कटने लगी
ज़िन्दगी ख़ामोश ही कटने लगी
जाने क्यों तेरी कमी खलने लगी
काट डालेगी मुझे अब देखना
ये हवा तलवार-सी चलने लगी
नातवानी इस कदर छाई है अब
रौशनी भी आँख में चुभने लगी
जब ख़ुशी थी दरमियां सब ठीक था
संग मेरे रात अब जगने लगी
दोस्तो! जीने को जी करता नहीं
ज़िन्दगी अब मौत-सी लगने लगी