ज़िन्दगी हादिसों की एक कड़ी
ज़िन्दगी हादिसों की एक कड़ी
मौत बस एक पल है एक घड़ी
करते-करते गिले भी, शिकवे भी
क्यों नज़र मेरी तुझसे देख लड़ी
मेरे दिल में उतर गई गहरे
नेक सूरत थी यार एक बड़ी
राह पे मुझको लाने की ख़ातिर
बाप ने तोड़ी थी वो एक छड़ी
ख़त्म होने लगी मिरी ताक़त
वक़्त की मार मुझपे देख पड़ी