ज़रूरी तो नहीं …
ज़रूरी तो नहीं …
हर दर्द पे आह निकले,ये ज़रूरी तो नहीं।
हर मोड़ पे राह निकले,ये ज़रूरी तो नहीं।
यूँ तो है ग़ज़ल गुलदस्ता शे’रों का फिर भी,
हर शे’र पे वाह निकले, ये ज़रूरी तो नहीं।
सुशील सरना
ज़रूरी तो नहीं …
हर दर्द पे आह निकले,ये ज़रूरी तो नहीं।
हर मोड़ पे राह निकले,ये ज़रूरी तो नहीं।
यूँ तो है ग़ज़ल गुलदस्ता शे’रों का फिर भी,
हर शे’र पे वाह निकले, ये ज़रूरी तो नहीं।
सुशील सरना