** ग़ज़ल **
आँखों के आंसुओं से दामन भिगो लिये
हम तो यूं कुछ दूर ही टहलने चले गये ।।
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करिश्मा देख मुहब्बत के जूनून का
कल के पत्थरदिल आज पिघल गए ।।
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कल जिंदगी से मुलाक़ात के आसार बन गये
आया हवा का झौंका प्रेम-बादल बिखर गये ।।
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तक़दीर में साहिल कब अपने नशीब में
मझधार में नैया डुबोकर चले गये ।।
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मत पूछ आंसुओं की कीमत ऐ’मधुप’
जालिमों ने पर तितलियों के कतर दिए।।
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रोज जो मिलकर हमसे इठला के हंस दिए
आज जाने महफ़िल से किस ओर चल दिए।।
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फ़ितरत उनकी थी कुछ अजीब सी
लेकिन आज वो कुछ कुछ बदल गये।
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?मधुप बैरागी