ग़ज़ल!!अश्क़ का वो कतरा अब कहाँ मेरे हासिल में हैं
रंजो गम की दुनिया में वो मेरे महफ़िल में हैं
लाख छुपाये प्यार मुझसे वो अब मेरे दिल में हैं।।
लाख हालात मेरे मुश्किल सही राब्ता तो हैं
हाथो में हाथ उसके साथ नज़र मंजिल में हैं।।
ये बारिश ये मौसम ये बसंत बहारें
सारे मौसम अब तेरे हासिल में हैं।।
दिल की नज़र कुछ ऐसी लगी मेरे महबूब पर
लगाते गली के चक्कर उसके वो मेरे दाखिल में हैं।।
जुगनुओं की तरह आसमाँ में चमकूँगा तो मैं
जिंदगी में काम आऊँ सबके वसवसे में शामिल में हैं।।
दिल के टुकड़े टुकड़े करके वो मेरे हाथ में दे
प्यार था मेरा,नाम उसका आज मेरे कातिल में हैं।।
आँखों से बेसबब बह गया फ़ितरत हैं उसकी
अश्क़ का वो कतरा अब कहाँ मेरे हासिल में हैं।।
हौसला साहिलों का देख समंदर भी उतर गया
लहरों का काफिला अब कितने मुश्किल में हैं।।
®आकिब जावेद