ग़म की बारिश में गाये दिवाना
दो घड़ी का है मौसम सुहाना
ग़म की बारिश में गाये दिवाना
है हंसी इश्क़ की तो घड़ी भर
उम्रभर को है ज़ालिम ज़माना
तान के सीना मैं भी खड़ा हूँ
आज क़ातिल का देखूँ निशाना
है खुला आसमां सर के ऊपर
मुफ़लिसों का कहाँ है ठिकाना
ये जहां सब जहाँ मेहमाँ हैं
जाने कब कौन होवे रवाना