ग़मो का मौसम आना जाना है
उनकी याद दिलो से मिटाना है
ग़मो का मौसम आना जाना है।।
बोझ मन में फिरते लिए क्यू यूँ
क्या मन को ऐसे जलाना है।।
ख्वाब में खूब दिल को लगाते हो
क्या दुनिया में ये दिल लगाना है।।
पत्ता भी पेड़ से अलग होगा
दर्द का ये रिश्ता पुराना है।।
सब मुझे ही यहाँ बुजदिल कहें
अब नज़र से नज़र मिलाना है।।
दिल के हर धड़कन में ही तुम हो
तुम्हे हर धड़कन अब सुनाना है।।
नज़्म ही अब बनी हुई है धड़कन
सबको अपनी ग़ज़ल सुनाना है।।
-आकिब जावेद