ख़्वाब बुन ले
मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन फ़ऊलुन
1222 1222 122
कोई अब इक सुहाना ख़्वाब बुन ले
मिरे मालिक मिरी फ़रियाद सुन ले
तड़प उट्ठे जिसे सुनकर ज़माना
दिवाने दर्दे-उल्फ़त की तू धुन ले
न कर धोका किसी से ऐ बशर तू
बुराई करने वाले से भी गुन ले
है आलम बेवफ़ाई का मगर तू
नए धागे वफ़ा के यार बुन ले
घड़ी भर को है मेला ज़िन्दगी का
संभल जा नेक कोई राह चुन ले