**क़ुदरत का करिश्मा ***
।।ॐ श्री परमात्मने नमः ।।
***” कुदरत का करिश्मा “***???
श्वेता के घर के पास घना जंगल है जहाँ प्राकृतिक नजारों के साथ बहुत से प्रकार के पेड़ पौधे लगे हुए हैं श्वेता रोज सुबह वहाँ घूमने जाती और लौटते वक़्त कुछ पेड़ों से सुंदर पुष्प भगवान में चढ़ाने के लिए ले आती थी । एक दिन सुबह घूमते समय उसने देखा कि बहुत से पेड़ काट दिये गए हैं उनमें से सुंदर फूलों के पेड़ को भी काट दिया गया हैं और सभी पेड़ बेजान से जमीन पर पड़े हुए हैं श्वेता उन पेड़ों को देखकर रो पड़ी उनमें से एक पेड़ (अकौआ) याने श्वेतार्क का था जिनकी जड़ में गणेश जी की आकृति लिए स्वरूप प्रगट होते हैं दूसरे दिन नहा धोकर शुद्ध मन से हाथ में पुष्प, रोली एवं चावल से पेड़ की जड़ की पूजन कर घर चलने का निमंत्रण दिया जल चढ़ाकर गणेश जी का आह्वाहन किया तीसरे दिन फिर उस
पेड़ की जड़ से खुदाई करने पुनः पूजन की सामग्री एवं बाल्टी में जल लेकर गई धीरे धीरे जड़ की खुदाई करने पर गणेश जी का
एक हाथ लंबा सूंड दिखने लगे जो सड़क के किनारे की तरफ था धीरे धीरे अंदर तक खुदाई करते हुए उसे समुद्र मंथन की तरह से मथकर मुश्किल से बाहर निकाल लिया गया सचमुच में कुदरत का करिश्मा रूपी गणपति बप्पा जी साक्षात् प्रगट हो गये थे उसे घर लाकर शुद्ध जल से स्नान कराकर कुछ देर धूप में रखकर शाम को सिंदूर व तेल का लेप लगाने के बाद घर पर ही पूजन के स्थान में गणपति जी की स्थापना कर दीं गई अब वही श्वेतार्क पेड़ की जड़ घर में सिद्धि विनायक गणपति जी के रूप में विराजमान होकर सद्बुद्धि देते हुए कृपा दृष्टि प्रदान कर रहे हैं ….! ! !
? ॐ गं गणपतये नमः ?????
स्वरचित मौलिक रचना ??
*** शशिकला व्यास ***
#* भोपाल मध्यप्रदेश #*