हौसला
पतझड़ बेशक कुम्हला
सकती है फूलों को,
मगर गुलशन पुरी तरह
उजड़ नहीं जाती;
बहार एकबार फिर आती है
फूल खिलते है बाग में,
सजते है गुलशन फिरसे
हौसला उसकी खत्म
हो नहीं जाती ।
पतझड़ बेशक कुम्हला
सकती है फूलों को,
मगर गुलशन पुरी तरह
उजड़ नहीं जाती;
बहार एकबार फिर आती है
फूल खिलते है बाग में,
सजते है गुलशन फिरसे
हौसला उसकी खत्म
हो नहीं जाती ।