*** ” हौंसले तुम्हारे और मेरे प्रयास…….! : ISRO ” ***
* है अदम्य हौंसले तुम्हारे ,
और मेरे अथक प्रयास ।
न हो , हिन्दुस्तानी भाई ;
आज तुम , गुमसुम-सा उदास।
ठान ली है जो हमने , घर बसाना चाँद पर ;
और खोल कर रहेंगे हम , उनकी एक – एक राज़।
हौसले दिये हैं जो , तुमने हमें आज ;
व्यर्थ उसे हम न जाने देंगे।
है जो सपने , तुम्हारे ;
हम उसे एक नई परवाज़ देंगे।
है दुवाओं में तुम्हारे , इतनी ताकत ;
असफलता के हाथ , हम उसे न हारने देंगे।
** तुम्हारे हौंसले के सहारे ही हमनें ,
होकर सवार सायकिल पर ;
अंतरिक्ष की राह बढ़ी है।
अब तो हमारे पास मार्क-३ ( MARK-3 ) है ,
बाहुबली जैसी शक्तिशाली है।
सफलता और असफलता की सिढ़ियो से ही हमने ,
चाँद क्या…….? ;
सूर्य-सतह पर भी कदम रखने की पाठ पढ़ी है।
तुम्हारे विश्वास और हौंसले में ,
है अज़ब-गज़ब ऐसा असर।
पाँच फिट की ऊँचाई वाली पुतला ( आदमी ) पर ,
बसा गई अपना स्थाई घर।
लेकर आज ओ हौंसले की उड़ान ,
१३ लाख किलोमीटर की लंबी सफ़र ;
हो गई तय , मात्र ४८ दिन के ही अंदर।
टूटा है केवल सम्पर्क हमारा ,
” प्रज्ञान-दीप ” से ।
वक्त ने थोड़ा साथ नहीं दिया , तो क्या…..? ;
जिद है हमारी हौसलों की अब ,
लहरायेंगे ” तिरंगा ” चाँद की मंजिल से।
*** बहुत सभंल के चले थे ,
फिर भी फिसल गये हम।
यकीन है हमें , अपनी मेहनत पर यारों ;
कुछ इंतज़ार करो ,
चाँद पर फिर अमर ” प्रज्ञान-दीप ”
जलायेंगे हम।
तेरे हौंसले और मेरे प्रयास के , क्या है..? ,
ओ चाँद को अंदाज ।
आज नहीं तो कल ,
बता देंगे दुनिया को हम ;
कहाँ लगी है दाग़ चाँद पर ,
और खोल जायेंगे ओ अनोखा राज़।
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* बी पी पटेल *
बिलासपुर ( छ. ग. )