Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Oct 2022 · 1 min read

हौंसला

रुका सा हूँ, थमा सा हूँ, थोड़ा सा मैं सहमा सा हूँ,
गुमसुम हूँ, अनजान हूँ, यूँ तो मैं गुमनाम हूँ,

निगाहों से ही कह जाते हैं, थोड़ा सा मुझे सह जाते हैं,
यूँ तो मैं अनजान नहीं, पर शब्द उनके मन में रह जाते हैं,

थोड़ी सी थकान है, दिल भी कुछ है भारी,
ना जाने आज फिर से क्यूँ आई है मेरी ही बारी,

घबराहट भी है, सुकून भी है और है थोड़ी सी बेबाक़ी,
ना जाने मन क्यूँ कहता है कि अभी हौंसला है बाक़ी।

2 Likes · 246 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
Mukar jate ho , apne wade se
Mukar jate ho , apne wade se
Sakshi Tripathi
छेड़ता है मुझको यशोदा मैया
छेड़ता है मुझको यशोदा मैया
gurudeenverma198
💐प्रेम कौतुक-411💐
💐प्रेम कौतुक-411💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
दास्ताने-इश्क़
दास्ताने-इश्क़
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
खाने को पैसे नहीं,
खाने को पैसे नहीं,
Kanchan Khanna
गुरु चरण
गुरु चरण
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
......... ढेरा.......
......... ढेरा.......
Naushaba Suriya
ईमानदारी की ज़मीन चांद है!
ईमानदारी की ज़मीन चांद है!
Dr MusafiR BaithA
हर मंदिर में दीप जलेगा
हर मंदिर में दीप जलेगा
Ansh
दृढ़ आत्मबल की दरकार
दृढ़ आत्मबल की दरकार
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
कर ले कुछ बात
कर ले कुछ बात
जगदीश लववंशी
बेटियां!दोपहर की झपकी सी
बेटियां!दोपहर की झपकी सी
Manu Vashistha
"रोटी और कविता"
Dr. Kishan tandon kranti
जनता जनार्दन
जनता जनार्दन
Dr. Pradeep Kumar Sharma
कोई जिंदगी भर के लिए यूं ही सफर में रहा
कोई जिंदगी भर के लिए यूं ही सफर में रहा
कवि दीपक बवेजा
रिश्ते नातों के बोझ को उठाए फिरता हूॅ॑
रिश्ते नातों के बोझ को उठाए फिरता हूॅ॑
VINOD CHAUHAN
तुम गर मुझे चाहती
तुम गर मुझे चाहती
Lekh Raj Chauhan
चाह और आह!
चाह और आह!
नंदलाल सिंह 'कांतिपति'
मन
मन
Neelam Sharma
16)”अनेक रूप माँ स्वरूप”
16)”अनेक रूप माँ स्वरूप”
Sapna Arora
🥀* अज्ञानी की कलम*🥀
🥀* अज्ञानी की कलम*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
ईद आ गई है
ईद आ गई है
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
***वारिस हुई***
***वारिस हुई***
Dinesh Kumar Gangwar
నమో సూర్య దేవా
నమో సూర్య దేవా
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
जाग गया है हिन्दुस्तान
जाग गया है हिन्दुस्तान
Bodhisatva kastooriya
चाहत 'तुम्हारा' नाम है, पर तुम्हें पाने की 'तमन्ना' मुझे हो
चाहत 'तुम्हारा' नाम है, पर तुम्हें पाने की 'तमन्ना' मुझे हो
Sukoon
2503.पूर्णिका
2503.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
रास्ते  की  ठोकरों  को  मील   का  पत्थर     बनाता    चल
रास्ते की ठोकरों को मील का पत्थर बनाता चल
पूर्वार्थ
जननी-अपना देश (कुंडलिया)
जननी-अपना देश (कुंडलिया)
Ravi Prakash
पग मेरे नित चलते जाते।
पग मेरे नित चलते जाते।
Anil Mishra Prahari
Loading...