हो रहा है चर्चा हमारा चारों तरफ़,
हो रहा है चर्चा हमारा चारों तरफ़,
कोई तो बात होगी।
कोई तो पढ़ी होगी किसी ने चिट्ठी,
या देखी कभी अपनी मुलाकात होगी।
धुआं उठा है इतना अगर तो लगी,
आग जरूर इस तरफ बीती रात होगी।
कुछ तो हुआ होगा बादल में तभी
आई ऐसी ज़ोर से बरसात होगी।
क्यों ठहरा दिया है हमको मुजरिम लोगों ने,
आखिर इसकी जिम्मेदार क्या हालात होगी।
वो एक ख़्वाब ही तो है “रौशनी” फिर क्यों,
खफा हमसे सारी कायनात होगी।