होकर मजबूर हमको यार
होकर मजबूर हमको यार, ऐसा करना पड़ा।
तुम्हारे लिए हमको, अपना दिल बदलना पड़ा।।
तुम्हारे लिए हमको यार—————-।।
हो गया था हमको अहसास, प्यार तुमको है किससे।
वैसे हमको भी कभी भी, नहीं मिली मोहब्बत तुमसे।।
नहीं मिलती इज्जत हमको, बेवफा बनना पड़ा।
होकर मजबूर हमको यार——————।।
कम से कम तेरे लिए तो,नहीं था पाप मेरे मन में
सींच रहा था अपने खूं से, यह तुम्हारा चमन मैं।।
आजीज होकर फिर हमको, बेरहम बनना पड़ा।
होकर मजबूर हमको यार——————।।
हमने इंतजार किया कि, बदलोगे तुम कभी आदत।
छोड़ोगे तुम बदतमीजी, और हमसे अपनी नफरत।।
छोड़कर हमको भी शर्म, रिश्ता तुमसे तोड़ना पड़ा।
होकर मजबूर हमको यार——————-।।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)