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4 Oct 2020 · 1 min read

है प्यार तो कहिये कि तुम्हें प्यार है हम से

है प्यार तो कहिये कि तुम्हें प्यार है हम से
इतनी सी गुज़ारिश है हमारी तो सनम से

दिखता है ज़माने में जहाँ भी है जो जैसा
हैरान परेशान वो लिखता है क़लम से

बैठा है वो ख़ामोश तेरी याद में गुम है
वो आज भी तकता है तेरी राह कसम से

इन्सान कोई भी हो परिन्दा भी हो कोई
अपना है मुहब्बत से नहीं ज़ुल्मो-सितम से

लोगों न उसी से तो सलाहें भी लीं अक्सर
सीखो तो कभी तुम भी ज़रा उसकी फ़हम से

व्यापार से इस बार गुज़ारा भी नहीं है
नुक़सान हुआ रोज़ मुनाफ़ा भी है कम से

जब ज़ह्’न अंधेरे में कोई साथ में न हो
मिलती है सदा राह मुझे दैरो-हरम से

राज़ी है अगर वो तो कोई ग़म भी नहीं है
हैं काम सही मेरे तो मालिक के करम से

आने से सदा आपके आती हैं बहारें
‘आनन्द’ की ख़ुशियाँ हैं सभी आपके दम से

– डॉ आनन्द किशोर

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