अय मुसाफिर
है जिंदगी ये सीर नेकी बदी का वसल,
बोया बबूल बाग न हो आम की फसल।
हर कदम फूंक फूंक कर चलना अय मुसाफिर,
मौला ने निवाजा है हर इंसान को अकल।
सतीश सृजन
है जिंदगी ये सीर नेकी बदी का वसल,
बोया बबूल बाग न हो आम की फसल।
हर कदम फूंक फूंक कर चलना अय मुसाफिर,
मौला ने निवाजा है हर इंसान को अकल।
सतीश सृजन