Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Dec 2021 · 3 min read

” हैप्पी और पैंथर “

हम सब गांव की तरफ चले थे
दशहरा पर्व भी आने ही वाला था
रास्ते में लगी थी बच्चों को भूख
वहीं तब गाड़ी का ब्रेक लगा था,
गाड़ी खड़ी की एक ढाबे के पास
नाश्ते का तब ऑर्डर किया था
धूप में बैठकर धूप सेंक रहे थे
एक छोटा पिल्ला वहां घूम रहा था,
शीघ्र ही घुल मिल गया वह बच्चों संग
उछल कूद वहीं वह करने लगा था
जब तक हम बैठे वहां वह खेलता रहा
चलने लगे हम तब वह मायूस खड़ा था,
जैसे ही की थी राज ने गाड़ी स्टार्ट
वह भागकर गाड़ी के पास आया था
रोमी ने खोली खिड़की गाड़ी की तो
कूदकर वह अंदर सीट पर जा बैठा था,
फुदकते हुए उस छोटे से पिल्ले को देख
रानू का मन भी तो हर्षित हो चला था
पापाजी प्लीज़ साथ ले चलो ना पप्पी को
दोनों बच्चों ने फिर प्यार से आग्रह किया था,
मीनू भी तो चाहती थी कि साथ ले लूं उसे
पप्पी भी टकटकी लगाए हमें देख रहा था
बस फिर क्या था राज ने दी प्यार से सहमति
एक और सदस्य हमारे परिवार में जुड़ा था,
पूरा दिन बच्चों के साथ मस्ती करता वह
इसीलिए हमनें उसका नाम हैप्पी रखा था
रानू रोमी को मिल गया था एक नया दोस्त
हैप्पी भी हमारे साथ खुश रहने लगा था,
लगभग तीन माह बाद विदेश का टूर बना
हैप्पी को साथ ले जाना मुमकिन ना था
विचार विमर्श पश्चात हमने योजना बनाई
फिर हैप्पी को गांव छोड़ कर जाना था,
मन उदास हुआ तब रानू रोमी का बहुत ही
हैप्पी भी तो चुपचाप टकटकी लगाए बैठा था
जैसे समझ आ रही हों उसको हमारी बातें
समझदार बच्चे ज्यों शांति से सब सुन रहा था,
गांव छोड़ कर हम हो गए विदेश घूमने रवाना
नई जगहों का हमने वहां आनंद उठाया था
छुट्टियां खत्म हुई तो हम आ गए वतन वापिस
समय अभाव में सीधा जयपुर ही आना था,
होली पर दोबारा हुआ गांव जाना तो दिखा
हैप्पी तो आज भी हमें याद कर रहा था
कूद कूद कर मीनू की गोदी में चढ़ जाता तो
राज संग खाना खाने की ज़िद कर रहा था,
बच्चों को देखकर यकायक ही खिल उठा
गाड़ी के चारों ओर चक्कर काट रहा था
आते समय साथ आने को तैयार था वह, लेकिन
दादा दादी का मन भी अब हैप्पी से जुड़ा था,
थोड़े दुखी मन से हम भी आ गए वापिस
रानू रोमी को तो लेकिन हैप्पी चाहिए था
पप्पी की प्रजाति सोचते सोचते बीते कई दिन
फिर वीर हनुमान सामोद का टूर लगा था,
सैकड़ों सीढियां चढ़ कर वहां धोक लगाई
पहाड़ी रास्ते से पूनिया परिवार नीचे उतरा था
नीचे लगी खिलौनों की सजी थी दुकानें
रोमी का बाल मन उन्हें ही देख रहा था,
हम सब हो गए थे खरीददारी में व्यस्त
काला पप्पी देख रानू जोर से चिल्लाई
पापाजी हैप्पी जैसा नया पप्पी मिल गया
राज ने बिना देर किए उसे गोद में लिया था,
दुबक कर चुपचाप गाड़ी में सो गया वह
मानों वहां हमारे ही इंतजार में बैठा था
सारे रास्ते बच्चे उसी की बातें करते रहे
बातों ही बातों में उसका पैंथर नाम रखा था,
घर आकर वही शरारत और उछल कूद
एकदम हैप्पी का ही दूसरा रूप लगा था
पाकर उसे रानू रोमी हुए बहुत प्रफुल्लित
पैंथर के रूप में दूसरा हैप्पी जो मिला था,
घुल मिल गया है फिर वह हमारे संग
तब गांव का दोबारा चक्कर लगा था
चीर परिचित आदत में हैप्पी लगा मचलने
सहसा पैंथर को देखकर गुस्से में आया था,
छोटे बच्चों ज्यों दोनों लड़ें फिर आपस में
मैं बैठूं गोदी में हैप्पी ने फिर फरमाया था
पैंथर बिलकुल छोटा तब सहम सा गया
थोड़ी ही देर में फिर वह भी इतराया था,
खूब मस्ती से बीते फिर वहां सारे दिन
पैंथर भी अब हैप्पी का दोस्त बन गया था
हैप्पी कहलो या पैंथर कहकर पुकारलो
वह मूक प्राणी हमारे दिल से जुड़ गया था।
Dr.Meenu Poonia jaipur

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 854 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr Meenu Poonia
View all
You may also like:
औरत का जीवन
औरत का जीवन
Dheerja Sharma
जो कुछ भी है आज है,
जो कुछ भी है आज है,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
खत पढ़कर तू अपने वतन का
खत पढ़कर तू अपने वतन का
gurudeenverma198
*होली के रंग ,हाथी दादा के संग*
*होली के रंग ,हाथी दादा के संग*
Ravi Prakash
जीवन के रास्ते हैं अनगिनत, मौका है जीने का हर पल को जीने का।
जीवन के रास्ते हैं अनगिनत, मौका है जीने का हर पल को जीने का।
पूर्वार्थ
अहा! जीवन
अहा! जीवन
Punam Pande
दस रुपए की कीमत तुम क्या जानोगे
दस रुपए की कीमत तुम क्या जानोगे
Shweta Soni
"लक्ष्य"
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
खोने के लिए कुछ ख़ास नहीं
खोने के लिए कुछ ख़ास नहीं
The_dk_poetry
स्वीकारा है
स्वीकारा है
Dr. Mulla Adam Ali
सांच कह्यां सुख होयस्यी,सांच समद को सीप।
सांच कह्यां सुख होयस्यी,सांच समद को सीप।
विमला महरिया मौज
दिल  धड़कने लगा जब तुम्हारे लिए।
दिल धड़कने लगा जब तुम्हारे लिए।
सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर’
अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं
अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
It's not about you have said anything wrong its about you ha
It's not about you have said anything wrong its about you ha
Nupur Pathak
सच तो हम इंसान हैं
सच तो हम इंसान हैं
Neeraj Agarwal
घुली अजब सी भांग
घुली अजब सी भांग
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
सत्य बोलना,
सत्य बोलना,
Buddha Prakash
जहां तक तुम सोच सकते हो
जहां तक तुम सोच सकते हो
Ankita Patel
#अब_यादों_में
#अब_यादों_में
*Author प्रणय प्रभात*
#justareminderekabodhbalak #drarunkumarshastriblogger
#justareminderekabodhbalak #drarunkumarshastriblogger
DR ARUN KUMAR SHASTRI
💐प्रेम कौतुक-519💐
💐प्रेम कौतुक-519💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
जब बूढ़ी हो जाये काया
जब बूढ़ी हो जाये काया
Mamta Rani
"सदियाँ गुजर गई"
Dr. Kishan tandon kranti
3002.*पूर्णिका*
3002.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
प्रकृति का बलात्कार
प्रकृति का बलात्कार
Atul "Krishn"
इश्क़ छूने की जरूरत नहीं।
इश्क़ छूने की जरूरत नहीं।
Rj Anand Prajapati
मनुख
मनुख
श्रीहर्ष आचार्य
मच्छर
मच्छर
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
🥀 *अज्ञानी की कलम*🥀
🥀 *अज्ञानी की कलम*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
दर्स ए वफ़ा आपसे निभाते चले गए,
दर्स ए वफ़ा आपसे निभाते चले गए,
ज़ैद बलियावी
Loading...