✍️हे शहीद भगतसिंग…!✍️
✍️हे शहीद भगतसिंग…!✍️
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इस उम्र में तो
जीवन के प्रति
कोई सूझबूझ भी
विकसित नहीं होती,
आपने तो सामंतवादी
साम्राज्य को ललकारा,
फाड़ दिया काली सियाही से
लिखा काले कानून का दस्तावेज़,
छोड़ दिया घरबार वतन के ख़ातिर,
तोड़ दि गुलामी की जंजीर,
आझादी का नारा
बुलंद करने के वास्ते,
युवा अवस्था में ओर भी होते है रास्ते
मस्तमौला मनमर्जी से जीने के…!
आपने देशभक्ति को चुना,
आप महान थे
और धन्य थे वो मातापिता जिसने ऐसे
साहसी पूत को देशहित में न्योछावर किया,
आपने “संपूर्ण स्वराज” माँगा
और प्रस्थापित नेतृत्व को हिला दिया,
ब्रिटिश,अंग्रेजो के साम्राज्यवाद की
बुनियाद जो खोखली हो गयी थी,
सबसे बड़ा योगदान आपका था,
जड़ो पर तो बार बार वार आपने किया
गुलामी का पेड़ एक दिन में नहीं गिरा।
युवा रगों में चेतना,साहस और संघर्ष
के फसल को आपने अपने खून से सींचा,
तब कही आझाद भारत में
खुली साँस हमें नसीब हुई….
आपने शोषनविरहित
समाजवाद का सपना देखा था।
मैं आझाद भारत में खड़ा होकर सोचता हूँ
हे शहीद भगतसिंग
आप कितने महान दार्शनिक थे ,
तेवीस साल के उम्र में परिपक्व युगपुरुष थे,
मैं समझ नहीं पाता,क्या इतिहास के
पन्नों ने आपके साथ न्याय किया या दग़ाबाज़ी?,
इतनी कम उम्र में फाँसी चढ़ जाना
ये बलिदान आपका सवाल बन
मुझे छिन्न विच्छिन्न कर जाता है।
मुझे छिन्न विच्छिन्न कर जाता है।।
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✍️”अशांत”शेखर✍️
04/06/2022