हे राम
हे राम राम
हे! राम राम, हे! राम राम।
हे! राम राम, हे! राम राम।
इस दुनिया के छल छंदों से,
छलनी मन रोता ज़ार ज़ार ।
मधु पीने की अभिलाषा में, विषपान किया है बार-बार।
मैं शरण आपकी आज पड़ा,
मुझे कंठ लगा लो सुखधाम।
हे!राम राम, हे ! राम राम ।
हे ! राम राम, हे! राम राम ।
बाबा तुलसी के रामचंद्र,
दशरथ कौशल्या के नंदन।
तुम तो हे! प्रभु, जगदीश्वर हो,
मैं किस विधि करूं अहो वंदन।
इस भव से पार कराओ तुम,
इन चरणों में मेरा प्रणाम।
हे राम राम हे राम राम
हे राम राम हे राम राम
इंदु पाराशर