हृदय के जंगल में
इस समाज में
इतनी क्रूरता क्यों
बढ़ती जा रही है
मोहब्बत के पेड़ को
नफरत की आंधी उसकी
जड़ों से क्यों काट रही है
टांग देते हैं लोग
मारकर किसी को
बीच सड़क
बीच चौराहे
कहीं भी
लटका देते हैं उसके
जिस्म के टुकड़ों को
जैसे किसी कसाई ने
किसी जानवर को मारकर
उसका गोश्त लटका
दिया हो
मीट शॉप में
हो क्या गया है
लोगों को
इंसान और जानवर में भी
फर्क करना भूल गये
हैवान बन गए हैं
नरभक्षी
बेखौफ घूमते आवारा
पशुओं से
भीड़ भरी सड़कों पर
हासिल क्या होता है
यह सब करके इन्हें
ऐसे वीभत्स कृत्यों को
यह अंजाम कैसे देते
हैं
जिन्हें यह अपना शिकार
बनाते हैं क्या
वही सब खुद के साथ
दोहरा सकते हैं
यह इंसानियत से परे की
बातें हैं
हैवानियत की हद
शैतानी आत्मायें हैं
यह सब
एक इंसान के
भेष में
न जाने कितने भयानक
पशुओं का वास है
इनके हृदय के जंगल में
यह कुदरती तौर पर
ऐसे हैं
इन्हें बदलना सम्भव नहीं
इन्हें मार देना ही उचित
होगा
जो ऐसा करने की
सोच रहा हो
योजना बना रहा हो
उसके लिये भी फिर
यह एक सबक होगा।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001