हृदय की चोट थी नम आंखों से बह गई
हृदय की चोट थी नम आंखों से बह गई
क्यों न पुनः आरंभ एक नई कहानी करें
संजय श्रीवास्तव
बालाघाट मप्र
हृदय की चोट थी नम आंखों से बह गई
क्यों न पुनः आरंभ एक नई कहानी करें
संजय श्रीवास्तव
बालाघाट मप्र