हृदय का रंग
हृदय का रंग
जान लो हृदय सदैव साथ है।
मान लो सदैव पास माथ है।
तुम हसीन स्वप्न एक मात्र हो।
प्रीति रंग से बने सुपात्र हो।
तुम सप्रेम हो मिले समर्थ हो।
पास में खड़े दिखे परार्थ हो।
स्वस्थ मन प्रसन्नचित्त रम्य हो।
दिव्य सेतु स्वर्ण भाव भव्य हो।
जीतते सदा हृदय प्रशांत हो।
स्नेह वर्ण सौम्य शील शांत हो।
प्रेम रंग में पगे सुमीत हो।
काम्य नम्र गेय लोकगीत हो।
संपदा महान शिष्ट मित्रता।
मधु प्रधान प्रिय सुगंध इत्रता।
हो दिलेर स्वर्ण रत्न माल्यता।
दे रहा हृदय सस्नेह मान्यता।
साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी