हिसाब हुआ कि कोई हिसाब नही है
हिसाब हुआ कि कोई हिसाब नही है
गुज़रते गए दिन तन्हा और कोई किताब नही है
मियां क्यों ग़म छुपाए बैठे हो
इस ग़म का कोई इलाज़ नही है
किस मुँह से जाओगे ग़ालिब
तेरे जैसा कोई गम्माज़ नही है
कोई नक़ाब तो लाओ दुनिया वालो
अफ़सोस ऐसा कोई उस्ताद नही है
भूपेंद्र रावत
15।04।2020