*हिम्मत मत हारो ( गीत )*
कविता पुरस्कृत
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23 अप्रैल 2020 ,जिलाधिकारी रामपुर प्रशासनिक उत्तरदायित्व के साथ-साथ सृजनात्मक अभिरुचियों को प्रोत्साहित करने में भी योगदान दे रहे हैं । यह एक अच्छी प्रवृत्ति है। इसी के अंतर्गत साहित्य लेखन को बढ़ावा देने के लिए प्रतियोगिताओं का आयोजन आपके द्वारा डीएम रामपुर फेसबुक पेज के माध्यम से किया जाता है। प्रतियोगिता संख्या 19 में मृत्यु पर जीवन की विजय को दर्शाने वाली, हिम्मत न हारने वाली ,तथा साहस के साथ चुनौतियों से जूझने के लिए प्रेरित करने वाली एक लंबी कविता माँगी गई थी। कविता 6 पैराग्राफ में तथा छह लाइनों की होनी चाहिए थी । देवनागरी में लिखित मेरी कविता भी प्रतियोगिता में चुनी गई । बहुत-बहुत धन्यवाद । कविता इस प्रकार है:-
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हिम्मत मत हारो ( गीत )
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सिरहाने पर मरण खड़ा है ,पर हिम्मत मत हारो
( 1 )
माना रात अँधेरी गहरी ,नहीं दीखता साया
नहीं उजाले का किंचित भी ,कुछ संदेशा पाया
पता नहीं कब सूरज जागे ,कब अंधेरा भागे
पता नहीं कब सुबह सबेरा ,दीखे सबसे आगे
नाउम्मीदी को पर पूरी , ताकत से ललकारो
सिरहाने पर मरण खड़ा है ,पर हिम्मत मत हारो
( 2 )
जब तक अंतिम साँस चल रही ,जीवन में आशा है
घुटने टेके थके हुए मुख ,कायर की भाषा है
नवजीवन अक्सर मिलता है ,चरम बिंदु को पाकर
खड़ा करो फिर जीने का क्षण ,मुर्दा हिचकी आकर
गीदड़ – भभकी मौत दे रही , बनकर शेर दहाड़ो
सिरहाने पर मरण खड़ा है ,पर हिम्मत मत हारो
( 3 )
देखो चंदा को नभ में, यह घोर अमावस पाता
धीरे – धीरे अंधेरे से ,बाहर फिर आ जाता
अगर मानता हार चाँद ,जग उजियारा क्या होता
चिर निद्रा में हुआ लीन ,यह इतिहासों में सोता
यह जिजीविषा है चंदा की ,भीतर इसे उतारो
सिरहाने पर मरण खड़ा है ,पर हिम्मत मत हारो
( 4 )
कभी-कभी रोगों से मानव , डरा नजर है आता
कभी महामारी का भय , उसको आ घोर सताता
यह जीवन के दौर ,नहीं यह शाश्वत रहने वाले
ढल जाएंगे दिन डरावने ,यह जो काले-काले
उठो निराशा के दलदल से ,खुद को आप उबारो
सिरहाने पर मरण खड़ा है ,पर हिम्मत मत हारो
( 5 )
सुनो गगन में चिड़ियों के स्वर ,कुछ क्षण में आएंगे
पक्षी कलरव राग उमंगे , ले – लेकर गाएंगे
सोए हैं जो आज ,घोंसलों से उठ कर जाएंगे
नीले नभ में इनको ,कितना ऊँचा हम पाएंगे
इन्हें ज्ञात है स्वर्णिम कल का ,सोचो और विचारो
सिरहाने पर मरण खड़ा है ,पर हिम्मत मत हारो
( 6 )
मौत नहीं डँसती है उसको ,सावधान जो रहता
चलाचली की बेला को भी ,जो संयम से सहता
जिसकी साँसो में जीवन की , सुरभित गंध बसी है
मुख पर है मुस्कान ,विजय की मद्धिम दिखी हँसी है
उसका है यह मंत्र मरण पर ,ध्वज जीवन का गाड़ो
सिरहाने पर मरण खड़ा है , पर हिम्मत मत हारो
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रचयिता : रवि प्रकाश , बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99 97 61 5451