हिन्दू साम्राज्य दिवस
सिहासन से उठ शिवा देखता अरिदल को,
फिर निहारा क्रोध से मा जीजा के अपमान को,
यह दृश्य देख मा जीजा का अपमान व मातृभूमि की स्वतंत्रता की दुलार मन में भर चुका था,
छत्रपति छापामार युद्ध की घोषणा कर चुका था।
सब मराठा वीर मुगलों के खून के प्यासे बने,
तलवार की हर वार पर सिर कटे,
धनुष की हर डोर पर तीर भी मानव तने ,
इस गति से रक्त बहा जैसे बहे गंगाजी,
हर पल घट रही थी शत्रुओ की वाहिनी।
यह दृश्य देख मुगलों के मुंह पीले पड़ रहा था,
और बिना मुंह के भी मराठा तलवार लेकर लड़ रहा था।
यह दृश्य देख धरती के आंसू बहे आसमान में जय जयकार हुई,
वो रणचंडी मात भवानी शिवा में साकार हुई।
© जसवंत लखारा