Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 Jan 2017 · 4 min read

हिन्दू धर्म और अवतारवाद

हम जब बात करते है भारतीय संस्कृति और विशेषकर हिन्दू धर्म की तो इसमें “अवतारवाद” ये शब्द ज्यादातर सुनने को मिलता है भगवान् कभी राम बनकर आ जाते है कभी कृष्ण बनकर कभी गोतम बुद्ध हो जाते है तो कभी महावीर तो इसके पीछे भगवान् का उद्देश्य क्या है ? ये प्रश्न एक बार अकबर ने बीरबल से पूछा था |
अकबर ने कहा की बीरबल आपके धर्म में भगवान् कभी कृष्ण बन जाते है; कभी राम तो आप के भगवान् के पास इतना समय होता है की वो धरती पर आते रहते है | बीरबल ने कहा की महाराज इसका उत्तर में आपको प्रमाण सहित दूंगा | कुछ दिन बीते तो बीरबल और अकबर नौका विहार करने के लिए गये; अकबर नौका-विहार आनन्द ले ही रहे थे की इतने में ही अकबर ने देखा की सामने से एक नौका आ रही है और उसमे कई सारी महिलाएं बैठी है; और उनके हाथ में अकबर का सबसे प्रिय पुत्र है अचानक वो बालक नदी में गिरता है ये देखकर अकबर उसे बचाने के लिए कुऐ में कूद पडते है और जब वो उसे निकाल कर बाहर लाते है तो देखते है की वो उनका पुत्र नही है बल्कि पत्थर का बना एकपुतला था |
ये देखकर अकबर को आश्चर्य होता है वो सभा बुलाते है और उन महिलाओं से पूछते की ये किस व्यक्ति द्वारा किया गया कार्य है उसे मेरे सामने प्रस्तुत करो में उसे दण्डित करूंगा| ये सुनकर बीरबल सामने आते है और बोलते है महाराज ये आपका उपहास नही है बल्कि आपके प्रश्न का उत्तर है जो आपने मुझसे पूछा था अब आप मुझे बताइए की महाराज आप स्वयं नदी में क्यों कूदे जबकि आपके पास तो एक बढ़ी सेना थी आप उसे आदेश देते वो पानी में कूदते और आपके पुत्र को बचा लाते|
अकबर बोले अरे बीरबल जब मेरा प्रिय पुत्र पानी में डूब रहा था तो मुझे कुछ नही सुझा और में उसकी जान बचाने के लिए कूद पढ़ा |बीरबल बोले ये ही आपके प्रश्न का उत्तर है महाराज जिस प्रकार आप अपने प्रिय पुत्र को संकट में देख कर स्वयं को रोक नही पाए और उसे बचाने के लिए स्वयं कूद पड़े| उसी प्रकार ईश्वर भी जब देखते है की मानव अपने जीवन के उद्देश्य और लक्ष्य से भटक गया है और जीवन जीने का ठंग भूल गया है तो भगवान् स्वयं अपने प्रिय पुत्र हम मानवो के बीच हमारे जैसे ही है बनकर आते है और इस दुनिया रूपी रंगमंच पर हमे जीवन रूपी अभिनय करना सिखाते है इसलिए स्वयं भगवान् अपने किसी पीर पैगम्बर को नही भेजते आते है |
ये ही उद्देश्य छिपा हुआ है ईश्वरीय अवतार के पीछे इसके अतिरिक्त यदि हम देखें तो शरीर को साधने से मन में दृढ़ता आती है व ईश्वर के प्रति आस्था के भाव दृढ होते हैं | मंदिरों में जाकर भजन कीर्तन में सम्मिलित होने से मन बुद्धि में पवित्रता आती हैकृष्ण वो किताब हैं । श्री कृष्ण की संर्पूण जीवन कथा कई रूपों में दिखाई पङती है। योगेश्वर श्री कृष्ण उस संर्पूणता के परिचायक हैं जिसमें मनुष्य, देवता, योगीराज तथा संत आदि सभी के गुणं समाहित है। समस्त शक्तियों के अधिपति युवा कृष्ण महाभारत में कर्म पर ही विश्वास करते हैं। कृष्ण का मानवीय रूप महाभारत काल में स्पष्ट दिखाई देता है। गोकुल का ग्वाला, बृज का कान्हा धर्म की रक्षा के लिए रिश्तों के मायाजाल से दूर मोह-माया के बंधनों से अलग है| कंस हो या कौरवपांडव,दोनो ही निकट के रिश्ते फिर भी कृष्ण ने इस बात का उदाहरण प्रस्तुत किया कि धर्म की रक्षा के लिए रिश्तों की बजाय कर्तव्य को महत्व देना आवश्यक है।
कृष्ण का जीवन दो छोरों में बंधा है। एक ओर बांसुरी है, जिसमें सृजन का संगीत है,आनंद है,और रास है। तो दूसरी ओर शंख है, जिसमें युद्ध की वेदना है, गरल है तथा निरसता है।
ये विरोधाभास ये समझाते हैं कि सुख है तो दुःख भी है। यशोदा नंदन की कथा किसी द्वापर की कथा नही है, किसी ईश्वर का आख्यान नही है और ना ही किसी अवतार की लीला। ये तो वास्तव में भगवान् का अनुग्रह है, हम मानवों पर की वो हमारे बीच आकर हमारे ही जैसा जीवन जीकर हमे जीवन जीने का ठंग सिखाते है | ईश्वरअवतार के माध्यम से ये बताना चाहते है की मानव जीवन का उद्देश्य केवल जीवन को सुविधामय बनाना नही है अपितु धर्म की रक्षा करना और अपनी कंस रुपी बुराइयों का संहार करना है |
श्री कृष्ण जहां एक और यशोदा के नटखट लाल है तो कहीं द्रोपदी के रक्षक, गोपियों के मनमोहन तो कहीं सुदामा के मित्र। हर रिश्ते में रंगे कृष्ण का जीवन नवरस में समाया हुआ है। नटवर नागर नंदकिशोर के जन्म दिवस पर मटकी फोङ प्रतियोगिता के आयोजन का उद्देश्य खेल के द्वारा यह समझाना हैं, की किस तरह स्वयं को संतुलित रखते हुए लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है; क्योंकि “संतुलन और एकाग्रता” का अभ्यास ही सुखमय जीवन का आधार है। सृजन के अधिपति, चक्रधारी मधुसूदन का जन्मदिवस उत्सव के रूप में मनाकर हम सभी में उत्साह का संचार होता है और जीवन के प्रति सृजन का नजरिया जीवन को खुशनुमा बना देता है और हमारा जीवन कृष्णमय होने लगता है |

पंकज कुमार शर्मा “प्रखर”
कोटा ,राजस्थान
|| जय श्री कृष्ण ||

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Like · 1247 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
If we’re just getting to know each other…call me…don’t text.
If we’re just getting to know each other…call me…don’t text.
पूर्वार्थ
मां से ही तो सीखा है।
मां से ही तो सीखा है।
SATPAL CHAUHAN
उनकी ख्यालों की बारिश का भी,
उनकी ख्यालों की बारिश का भी,
manjula chauhan
मुझे मुझसे हीं अब मांगती है, गुजरे लम्हों की रुसवाईयाँ।
मुझे मुझसे हीं अब मांगती है, गुजरे लम्हों की रुसवाईयाँ।
Manisha Manjari
✍️पर्दा-ताक हुवा नहीं✍️
✍️पर्दा-ताक हुवा नहीं✍️
'अशांत' शेखर
अमर स्वाधीनता सैनानी डॉ. राजेन्द्र प्रसाद
अमर स्वाधीनता सैनानी डॉ. राजेन्द्र प्रसाद
कवि रमेशराज
किसी के साथ सोना और किसी का होना दोनों में ज़मीन आसमान का फर
किसी के साथ सोना और किसी का होना दोनों में ज़मीन आसमान का फर
Rj Anand Prajapati
2479.पूर्णिका
2479.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
ज्योति कितना बड़ा पाप तुमने किया
ज्योति कितना बड़ा पाप तुमने किया
gurudeenverma198
शब्द लौटकर आते हैं,,,,
शब्द लौटकर आते हैं,,,,
Shweta Soni
दोस्ती तेरी मेरी
दोस्ती तेरी मेरी
Surya Barman
आईना
आईना
Dr Parveen Thakur
मन सोचता है...
मन सोचता है...
Harminder Kaur
जिंदगी
जिंदगी
Madhavi Srivastava
सत्य
सत्य
लक्ष्मी सिंह
पुण्यात्मा के हाथ भी, हो जाते हैं पाप।
पुण्यात्मा के हाथ भी, हो जाते हैं पाप।
डॉ.सीमा अग्रवाल
"जब मानव कवि बन जाता हैं "
Slok maurya "umang"
रिश्ता - दीपक नीलपदम्
रिश्ता - दीपक नीलपदम्
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
वो बचपन था
वो बचपन था
Satish Srijan
कान का कच्चा
कान का कच्चा
Dr. Kishan tandon kranti
*कुछ तो बात है* ( 23 of 25 )
*कुछ तो बात है* ( 23 of 25 )
Kshma Urmila
🇮🇳 🇮🇳 राज नहीं राजनीति हो अपना 🇮🇳 🇮🇳
🇮🇳 🇮🇳 राज नहीं राजनीति हो अपना 🇮🇳 🇮🇳
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
जिंदगी भी रेत का सच रहतीं हैं।
जिंदगी भी रेत का सच रहतीं हैं।
Neeraj Agarwal
🚩 वैराग्य
🚩 वैराग्य
Pt. Brajesh Kumar Nayak
'गुमान' हिंदी ग़ज़ल
'गुमान' हिंदी ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
*सत्य की खोज*
*सत्य की खोज*
Dr Shweta sood
स्वामी विवेकानंद
स्वामी विवेकानंद
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
हर बार बीमारी ही वजह नही होती
हर बार बीमारी ही वजह नही होती
ruby kumari
■ मसखरी
■ मसखरी
*Author प्रणय प्रभात*
कल मालूम हुआ हमें हमारी उम्र का,
कल मालूम हुआ हमें हमारी उम्र का,
Shivam Sharma
Loading...