हिन्दी भाषा को अपनाएं
सभी गुनीजनों का हिंदी दिवस पर अभिनंदन और बधाई ???????
प्रस्तुत है हिन्दी भाषा के सम्मान में मेरा एक छोटा सा प्रयास जो की “शब्दों की नहीं भावों की अभिव्यक्ति है ।”
“हिंदी तुम जनम के साथ जनमी थी”
पहला शब्द मुझे देख जो उच्चारित हुआ “हिन्दी” वो तेरी ही देन था
पहला कौर , पहला कदम सब
तेरे शब्दों के साथ ही शुरू हुए थे
पहला रोना , पहली चीख
सब तुझ संग ही तो झेले थे
हँसना पहला , खुशी के सब पल
हिन्दी तुझ बिन अधूरे थे
जिद करना तो सबसे मुश्किल
तेरे संग के बिना यहाँ
और जताना अपना गुस्सा
कैसे संभव तेरे बिना
कैसे तू अब दूर हो गई
क्यों इतनी मजबूर हो गई
क्यों तेरी बहुमूल्य प्रतिष्ठा
गिर कर चकनाचूर हो गई
“बैसाखी दूजी भाषा की”
हम हर पल साथ चलाते हैं
“हिंदी” क्या तू इतनी लंगड़ी है
कि तुझ संग अब चल भी ना पाते हैं
“खुद को साबित करने केलिए”
आज सहारा जिसका है ( इंग्लिश )
वो बस “जब” “इक भाषा” है तो
“भाषा सोच ही अपनाएँ ”
गाएँ , नाचें , हँसे , रोएँ सब हिन्दी में
पर इंग्लिश “बोल” के इतराएँ
अपनी भाषा को ही सम्मानित
करने की जरूरत आ पड़ी
अपनी भाषा को ही याद
दिलाने की जरूरत आ पड़ी
“हिन्दी”
तू ही देश है अपना
तू ही माटी , तू वेश है अपना
माने या ना माने कोई
हिन्दी ही परिवेश है अपना अभिनंदन “हिन्दी” का “वो” करे
“हिन्दी दिवस” मनाए “वो”
हृदय से सम्मान करे और
“गर्वित” हो “अपनाए जो” ।।।।।
किसी दूसरे के संदेश को आगे भेज अपने अहम की संतुष्टि कर लेना कि ” हमने भी हिंदी भाषी होने के अपने कर्तव्य को पूरा किया ” बहुत आसान है ।परंतु मुश्किल राह पकड़ उसके सम्मान में कुछ समय या कुछ शब्द समर्पित करना ही उसका ( हिन्दी भाषा ) सही मायनों में अभिनंदन है ।
( सर्वाधिकार सुरक्षित स्वरचित अप्रकाशित मौलिक रचना – सीमा वर्मा )