हिन्दी दिवस
हिन्दी दिवस
बिन हिन्दी के मन पागल है।
हिन्दी बिन मानव घायल है।।
हिन्दी अति प्रिय मोहक भाषा।
मानवता की यह परिभाषा।।
हिन्दी में चन्दन कानन है।
पुरुषोत्तम इसका आनन है।।
जो हिन्दी का मर्म जानता।
वहींl ज्ञान का धर्म जानता।।
है हिन्दी साहित्य मनोरम।
काव्य शिरोमणि प्रिय मधु अनुपम।।
जो हिन्दी में लिखता-पढ़ता।
मधुरिम कोमल वह खुद बनता।
जो हिन्दी में रम जाता है।
उसका गम कम हो जाता है।।
तीरंदाज बना मुस्काता।
हिंद ज्ञान से जगत सजाता।।
साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।