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14 Sep 2021 · 1 min read

हिन्दी गौरव या समंवय

हमारी राष्ट्रीय भाषा हिन्दी से,
हम किसी भी हद तक जा सकते है,

और किसी भाषा में हम किसी व्यक्तित्व की,
*हिन्दी नहीं कर सकते है. लिपि देवनागरी है.
इंगलिश भाषा में जिसे इनसल्ट कहते है.

हम अपनी भाषा में जो तत्सम और तद्-भव शब्द लेकर आये हैं.
पूर्णता के बावजूद भी समुचित स्थान देने पड़े.

देवनागरी लिपि के तहत भिन्न भिन्न आवाजों से पशुओं और संगीत के प्रादुर्भाव समाहित है.
जैसे उररहई भैंसा झट कान उठायेगा.
बच्चे के सुशू के समय शू.शू.शू.शू.शू
बच्चे झट समझ जाते है,
और पेशाब कर देते है.
.
वो एक अलग बात है.
रेल अंग्रेजों ने चलाई.
हमने झट हिन्दी बनाई.
लौहपत गामनी… पर लिखे कहीं नहीं पाई.
ऐसे ही स्टेशन.. लौहपत गामनी ठहराल स्थल
.
जैसे गवर्नमेंट स्कूल और सैक्ट्रीएट
हास्य:- एक नया आदमी पता मालूम कर रहा था, लेकिन वह सचिवालय के नाम से पूछ रहा था.
किसी को मालूम न था.

फिर भी एक ने कहा ,. गवर्नमेंट स्कूल के सामने,
मुसाफिर ने पलटकर पूछा.
गवर्नमेंट स्कूल कहाँ है.
बोला सचिवालय के सामने.
उसने फिर पलटकर पूछा.
दोनों कहाँ हैं.
बोला आमने सामने.
.
जितनी भी खोज है.
चिकित्सा-विज्ञान/प्रोद्योगिकी/रेस्टोरेंट/आर्केटेक्ट-फैब्रिकेशन सबके सब की पकड में
हमारे भारतीय मूल के लोगों ने जितनी भी खोज की विदेशी धरती पर.
.
यूनानी दार्शनिक भाषा खोज और विश्व में पकड़ उच्च स्थान रखते हैं.
हिन्दी भाषा और त्रुटि गालियां.
अब्जर्ड …वाहियात.
अंग्रेज मन पर वार करते हैं,
ब्लडी फूल..यानि खानदानी मूर्ख.
हमारे यहां माँ बहन रिस्ते और जननांगों को इस्तेमाल किया जाता है.

डॉक्टर महेन्द्र सिंह हंस

Language: Hindi
Tag: लेख
4 Likes · 3 Comments · 298 Views
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