हिंदुस्तान
आइए चर्चा करें उस दलित के घाव पर,
बेड़ियां जकड़ी हुई अब तलक उस पावं पर,
मेज पर अंगूर है विहस्की रखी गिलास में,
चर्चा के लिए आ गए खुद्दार कुछ लिबास में,
देना नहीं है चोट अब नोट के बाजार में,
लड़ रहे हैं लड़ने दो नोक की तलवार में,
जब तलक जंग और सुनामी होती जाएगी,
तब तलक बेबस मछलियां समुंदर से भागी आएंगी,
कल का सूरज मेरा हो चंद्रमा को कैद रख,
किरदार चाहे जितने हों सब के सब अवैध रख,
रंग आबो हवा में हाथ अपना डाला करो,
जिस्म भी मिल जाय तो नोच भी डाला करो,
है यहां पर बह रही उस हवा को देखिए,
उत्तेजना के बेग की उस दवा को देखिए,
आज हम सोचा करे बच के कुछ आज़ाद हैं,
मूर्ख कैसे हम बचेंगे जब दंगे और फ़साद हैं,
सोचिए महसूस करिए देश के विकास का,
अस्मत लूटी जा रही हो यदि किसी इतिहास का,
फिर कैसे कह सकते हैं यह वही स्थान है,
विश्व जिसका गौरव करे मेरा हिंदुस्तान है,