हिंदी भाषा
जगाता है भावो को यह दिवस कर्त्तव्य बोध देकर,
हिंदी हमारी जड़ों में है इसे मत भूलो तुम भूलकर।
अपनी भाषा से प्रेम करना सदा अधिकार तुम्हारा है,
इसको भूलकर क्यों आखिर हुआ पलायन हमारा है।
कमी भला क्या होगी खुद का मान बढ़ाने में,
हिंदी भाषा हमे मिली है संस्कारों के खजाने में।
ऋषि मुनियों की धरती पर हिंदी ही पूजी जाती,
विदेशी भाषा कभी अपनी संस्कृति को नहीं पाती।
क्यों न मान भला हो हमे हिंद और हिंदी पर,
मोक्ष और पुण्य सलिला इस पावन धरती पर ।
हिंदी है पहचान हमारी सदा हम हिंदुस्तानी हैं,
प्रतिदिन हिंदी को अपनाओ ये अपनी जुबानी है।
प्रतिदिन हिंदी दिवस हमारा नमस्कार उद्बोधन हैं,
हिंदी ही मातृभाषा हमारी शब्दों का संचित धन हैं।
इस गौरवमयी संस्कृति मे रमा हमारा तन मन हैं,
हिंदी ही मूल भाषा हमारी हिंद हमारा वतन है।
स्वरचित एवम मौलिक
कंचन वर्मा
शाहजहांपुर
उत्तर प्रदेश