– हिंदी कविता में है मेरे प्राण –
– हिंदी कविता में है मेरे प्राण –
हिंदी कविता में है मेरे प्राण,
मेरे रक्त कणिकाओं में है कविता का ज्वार,
मेरी नस – नस में है हिंदी काव्य का जोड़,
काव्य सृजन का करता हु में एक बस प्रयास,
लिखना पढ़ना मेरी आदत मेरा यही संसार,
काव्य के बिना में कुछ भी नही,
काव्य है मेरी नेह,
काव्य से ही बनी है मेरी देह ,
काव्य मंजूषा का रखता में सदा ध्यान,
नित नई नई कविता सृजन का करता प्रयास,
क्योंकि हिंदी कविता में है भरत गहलोत के प्राण,
✍️✍️✍️ भरत गहलोत
जालोर राजस्थान
संपर्क सूत्र -7742016184 –