– हिंदी कविता में मेरे प्राण उर्दू शायरी में मेरी जान –
– हिंदी कविता में मेरे प्राण उर्दू शायरी में मेरी जान –
हिंदी और उर्दू दोनो मुझे है प्रिय,
दोनो एक माता की संतान,
एक को मां तो दूसरी को मौसी जान,
हिंदी कविता लहजा बताती,
ऊर्दू शायरी तहजीब सिखाती,
एक में बसा है ज्ञान,
दूसरे को सूफी जान,
हिंदी मुझे शब्दो का बोध कराती ,
ऊर्दू शेर शायरी सिखाती,
रखती दोनो सदा मेरा पुत्र का ख्याल,
क्योंकि एक में बसे है मेरे प्राण,
और एक में बसे है मेरी जान,
✍️✍️ भरत गहलोत
जालोर राजस्थान
संपर्क सूत्र -7742016184 –