हार ….
हार ….
ज़ख्म की
हर टीस पर
उनके अक्स
उभर आते हैं
लम्हे
कुछ ज़हन में
अंगार बन जाते हैं
उन्स में बीती रातें
भला कौन भूल पाता है
ख़ुशनसीब होते हैं वो
जो बाज़ी उल्फ़त की
जीत के भी
हार जाते हैं
उन्स=मोहब्बत
सुशील सरना
हार ….
ज़ख्म की
हर टीस पर
उनके अक्स
उभर आते हैं
लम्हे
कुछ ज़हन में
अंगार बन जाते हैं
उन्स में बीती रातें
भला कौन भूल पाता है
ख़ुशनसीब होते हैं वो
जो बाज़ी उल्फ़त की
जीत के भी
हार जाते हैं
उन्स=मोहब्बत
सुशील सरना