हाड़-माँस का है सुनो, डॉक्टर है इंसान (कुंडलिया)
हाड़-माँस का है सुनो, डॉक्टर है इंसान (कुंडलिया)
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हाड़ – माँस का है सुनो , डॉक्टर है इंसान
कोशिश करता है सभी ,लेकिन कब भगवान
लेकिन कब भगवान, मौत से जमकर लड़ता
कभी मौत पर जीत ,कभी यह रहा पिछड़ता
कहते रवि कविराय,पता क्या किसे साँस का
कब जीवन कब मौत ,आदमी हाड़-माँस का
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रचयिता :रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा ,रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451