हाई स्कूल के मेंढक (छोटी कहानी)
हाई स्कूल के मेंढक (छोटी कहानी)
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मैं गहरी नींद में सो रहा था । तभी सपने में एक मेंढक आकर मेरे सामने खड़ा हो गया। फिर दूसरा मेंढक आया तीसरा आया, चौथा आया। दस-पंद्रह मेंढक इकट्ठे हो गए।
मैंने कहा” क्यों भाई, क्या बात हो गई ?
इतने मेंढक क्यों आ गए ? ”
वह बोले “हम तुमसे कुछ पूछने आए हैं । तुमने हाई स्कूल में बायोलॉजी के प्रैक्टिकल के समय एक- एक करके हम सबका पेट काटा और हमें मरने के लिए छोड़ दिया। तुमने ऐसा क्यों किया ?”
मैं सकपका गया ।कोई जवाब देते न बना। ।रपटते हुए मैंने कहा “यह तो पैंतालिस साल पुरानी बात हो गई. अब गड़े मुर्दे क्यों उखाड़ रहे हो? ”
वह बोले “हम तो गड़े मुर्दे हैं। उखड़ेंगे और सवाल पूछेंगे। यह बताओ तुमने हमारा पेट काटकर क्या सीखा ?”
मैंने कहा” भैया पुरानी बात है ।जाने दो। हमने कुछ नहीं सीखा। कोर्स में तुम्हें काटना था, इसलिए हमने काटा। न उस समय कुछ सीखा, न आज कुछ सीखा”
मेंढक बोले “इसका मतलब तुम भी स्वीकार करते हो कि हमारे काटने से तुम्हें कोई फायदा नहीं पहुंचा।”
मैंने कहा “ज्ञान की दृष्टि से कोई लाभ नहीं हुआ। तुम्हारा पेट काटने के बाद हमें जो कुछ मिला वह तो एक चार्ट की मदद से या निर्जीव मॉडल के माध्यम से भी सिखलाया जा सकता था।”
मेंढक बोले “तुमने गलती मान ली। अब हम लोग चलते हैं और दूसरे के पास जाकर उससे भी यही सवाल पूछेंगे”,।
मैंने कहा “दूसरा कौन?
वह बोला” हजारों लोगों ने हमारे बंधुओं को मौत के घाट उतार कर प्रैक्टिकल के नाम पर मारा है। हम एक-एक करके सब के सपनों में आएंगे और उन्हें परेशान करेंगे।”
मैंने कहा “भाई साहब ! फिर दोबारा तो मेरे पास नहीं आएंगे?”
वह बोले “नहीं हम केवल एक बार सब के पास जाएंगे।” …मैंने चैन की सॉंस ली।
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लेखक: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
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