हसरतें
आओ तोड़ें तारे
कुछ मेरे……. कुछ तुम्हारे
उन से बुनें वह सपने
जिन्होंने पहनें प्यार के गहने
तेरे अपने……. मेरे भी अपने
आओ सुन लें हवा का गीत
तू भी मीत……… वह भी मीत
दोनों की एक जैसी रीत
तेरे मन ने ……… हवा के मन ने
उड़कर बांँधी किस संग प्रीत ??
आओ चलकर बादल लूटें
कभी अपनी झोली में भरकर
नरम हथेलियों में कसकर
उस बादल में…… तेरा मेरा
नन्हा सा एक बादल ढूंँढें
चलो कहीं पर मिट्टी उगाएँ
धूप को रोपें
ज़मीन को बीजें
मिट्टी की फसलें पकाएंँ
आओ…. आकर बूंँदें गिन लें
रोते – हंँसते सोते – जगते
खर्च हुईं जो , जमा हुईं जो
उनका एक हिसाब बनाएंँ
तारे , मिट्टी , हवा और बादल
तेरी चीज़ें……… मेरे सपने
तू भी अपना…….. यह भी अपने
अपना जो भी है “अपने में”
उसकी एक पहचान सजाएंँ ।।