हर ख़ुशी मेहरबान होने लगी
हर ख़ुशी मेहरबान होने लगी
ज़िन्दगी दो जहान होने लगी
हुस्न पे जब खुमार होता है
वो घड़ी इम्तिहान होने लगी
फ़िक्र, परवाह, उम्र की क्योंकर
जब तमन्ना जवान होने लगी
चढ़ चुके जितनी सीढियाँ थी अब
हर क़दम पर ढलान होने लगी
होश उनको भला कहाँ, जिनपे
आशिक़ी मेरहबान होने लगी