हर वक्त बदलते रंग
हर वक्त बदलते रंग,
कभी हल्के, कभी गहरे
कैसे पहचाने इन्हें
ये नित बदलते चेहरे,
कभी मासूमियत से भरे
दिल को छू जाए
कभी अंगारों की गर्मी
जो पल में जलाए
कुटिल मुस्कान कभी
बताती छुपे मंसूबे
व्यंग की तलवार कभी
काट दे सब पहरे
दुख में डूबी आंखें,
कहती दिल का हाल,
हैरानी से भरी बरौनी,
पूछती अनगिनत सवाल,
हर रंग में दबे है,
राज बेहद गहरे,
कैसे पहचाने यहाँ,
ये नित बदलते चेहरे
चित्रा बिष्ट
(मौलिक रचना)