हर दिल तिरंगा लाते हैं, हर घर तिरंगा लाते हैं
हर दिल तिरंगा लाते हैं, हर घर तिरंगा लाते हैं
छतों की सफाई करते हैं,
एक पोल नया लगातें है,
हवाओं से बातें करें वो झंडा लाते हैं,
देश की शान बढ़े, हर दिल तिरंगा लाते हैं, हर घर तिरंगा लाते हैं।।
केसरिया पगड़ी, सफेद चोला,
धोती हरी है जिसकी,
सूरज की तरह चमके वो झंडा लाते हैं,
देश की शान बढ़े, हर दिल तिरंगा लाते हैं, हर घर तिरंगा लाते हैं।।
मिट्टी जिसकी सोना उगले,
पर्वत के जिसके गंगा बहे,
धरती जिसकी श्रवण जैसे सपूत जने, उस देश का झंडा लाते हैं,
देश की शान बढ़े, हर दिल तिरंगा लाते हैं, हर घर तिरंगा लाते हैं।।
आलू के पराठे जिसके हर दिल अजीज हो,
पनीर की सब्जी खास दावत में शामिल हो,
‘रामायण, महाभारत की कहानी हर जुबान हो, उस देश का झंडा लाते हैं,
देश की शान बढ़े, हर दिल तिरंगा लाते हैं, हर घर तिरंगा लाते हैं।।
‘परम धर्म श्रुति बिदित अहिंसा’ जन जन में हो,
‘हनुमान चालीसा’ का पठन घर घर हो,
अतिथि देवो भव’ जिसका मूल मंत्र हो, उस देश का झंडा लाते हैं,
देश की शान बढ़े, हर दिल तिरंगा लाते है, हर घर तिरंगा लाते हैं।।
सीमा टेलर (छिम़पीयान लम्बोर)